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Showing posts from December, 2020

what is attraction

What is an attraction? At least this much should be very clear. We see instances of attraction, every moment, all the time around us. There is the game of attraction going on. So somebody bangs the door, and your mind gets attracted towards that. It is as if the banging of the door and the movement of the mind towards the door are one and the same thing. If one happens the other has to happen, they are inseparable. This is the attraction. If you put some iron pieces near a magnet, the iron pieces will move towards the magnet. This is the attraction. If two reacting chemicals are brought together, there is a reaction and the subsequent release of energy and everything else and that is the attraction. So attraction is obvious, it is happening all the time around us. It is just a mechanical movement. The iron does not know why it is getting attracted to the magnet. The magnet does not know why it is attracting the iron piece. And yet attraction is happening. It is a dead thing...

Reason of mental illness

आज से पचास-साठ साल पहले एक मानसिक रोगी को जितनी एंग्ज़ायटी (उत्कंठा) महसूस होती थी, उतनी आज एक सामान्य युवा को महसूस होती है। मेरा सवाल ये है कि - आपके अनुसार इसके कारण क्या हैं, और अगर हम इस समस्या का हल नहीं निकाल पाते हैं तो हमारा भविष्य कैसा होगा? बहुत अच्छा प्रश्न पूछा है। तुमने कहा, “आज से पाँच दशक पहले जितनी एंग्ज़ायटी एक मानसिक रोगी को होती थी, उतनी एंग्ज़ायटी आज आम है – स्कूलों में, कॉलेजों में। और ये बात अनुमान के आधार पर नहीं है, ये आँकड़े हैं, ये नम्बर्स हैं, ये रिसर्च (अनुसंधान) है, ये डेटा (तथ्य) हैं। हम सब किसी-न-किसी तरीके से परेशान हैं, निराश हैं, कोई चिंता है, दिमाग पर बोझ है। ये बात कहने की नहीं है, ऐसा हो रहा है। परीक्षण करके अगर नापा जाए तो हम सबका यही हाल निकलेगा। (अपनी ओर इशारा करते हैं) यहाँ भी यही हाल निकलेगा। कोई चीज़ है जो परेशान करे ही जा रही है, करे ही जा रही है। तो पूछा है कि – बात क्या है? बात क्या है? दो पक्ष हैं उसके। दोनों को समझ लेंगे। पहली चीज़ ये है कि वैज्ञानिक क्रांति के बाद, जितने विषय हो सकते हैं पाने के लिए, उनमें बेतरतीब वृद्धि आ गयी ...

physical attraction is not love.

तुम जिसको सुंदरता बोलते हो वो वास्तव में रासायनिक प्रतिक्रिया है जो तुम्हारे भीतर होती है। पुरुष की आँखें किसी स्त्री को सुन्दर बोलें और आकर्षित हो जाएँ, ये वैसा ही है जैसे सोडियम का एक अणु पानी के एक परमाणु के प्रति आकर्षित हो जाए। कोई अंतर नहीं है। रासायनिक खेल है। तुम्हारे भीतर भरा हुआ है टेस्टोस्टेरोन क्योंकि जवान हो गए हो, पहले नहीं थे; स्त्री के भीतर भरा हुआ स्त्री का हार्मोन। कौन सा? प्रोजेस्टेरोन। प्रोजेस्टेरोन। और इन दोनों में बड़ा खिंचाव होता है आपस में। ये केमिस्ट्री (रसायन विज्ञान) है; अध्यात्म नहीं है। जिसको तुम ‘कोमलता’ बोल रहे हो वो फैट टिश्यू है, एडीपोस टिश्यू बोलते हैं उसको। स्त्रियों के शरीर में पुरुषों की अपेक्षा ज़्यादा फैट (वसा) होता है क्योंकि गर्भ के दिनों में पुराने ही समय से वो ज़्यादा भाग-दौड़ नहीं कर सकती थीं, शिकार नहीं कर सकती थीं, तो प्रकृति ने ये व्यवस्था कर दी कि उनके शरीर में वसा, चर्बी भरी रहेगी। वो चर्बी कब काम आती थी? गर्भ के दिनों में। और वो चर्बी जिन जगहों पर ज़्यादा जमा हो जाती है उन्हीं जगहों से तुम ज़्यादा आकर्षित भी हो जाते हो, फिर बोलते ...

what is love and it's relation with marriage?

प्रेम क्या है और उसका शादी से क्या सम्बन्ध है? सुनने में ये दोनों एक ही संवर्ग के शब्द लगते हैं - प्रेम और विवाह। और एक शब्द तो ‘प्रेमविवाह’ भी होता है, पर वास्तव में इनमें कोई विशेष रिश्ता-नाता है नहीं। बिल्कुल भी नहीं है। सबसे निचले तल का जो प्रेम होता है, वो आकर्षण भर होता है- सिर्फ़ एक आकर्षण। और वो ये भी ज़रूरी नहीं है कि ये किन्हीं दो व्यक्तियों के बीच में हो। वो व्यक्ति और वस्तु के बीच में भी हो सकता है, और वस्तु और वस्तु के बीच में भी हो सकता है। तुम खिंचे चले जाते हो एक नए मोबाइल की तरफ़। एक नया मोबाइल लॉन्च हुआ है बाज़ार में, और तुम खिंच गए उसकी तरफ़, या कि लोहा खिंच गया चुम्बक की तरफ़। वस्तु और वस्तु, व्यक्ति और वस्तु । ये सबसे निचले तल का प्रेम है। ये इतना निचला है कि इसको ‘प्रेम’ कहना भी उचित नहीं होगा, पर चलो कहे देते हैं क्योंकि हम अक्सर ‘प्रेम’ शब्द का प्रयोग यहाँ भी कर जाते हैं। हम कह देते हैं कि—‘मुझे अपनी बाइक से प्यार है’। वो सिर्फ़ एक आकर्षण है, पर हम कह देते हैं कि मुझे अपनी बाइक से प्यार है। तो ये दुरूपयोग ही है उस शब्द का, पर चलो, ठीक। तुम करते हो, कोई बात ...

why do we fear of being lonely?

अकेलेपन से डर क्यों लगता है? अकेलापन हम सभी को परेशान करता है। थोड़ा-सा अकेले होते नहीं हैं कि तुरंत फेसबुक खोल लिया, फ़ोन मिला लिया। इतना ही नहीं, अगर आप किसी और को अकेला देख लेते हो तो बोलते हो, "क्या हुआ? इतना उदास क्यों हो?” जैसे कि अकेला होना उदास होने का सुबूत है। अगर हॉस्टल में रहते हो और सारे दोस्त घर चले जाते हैं तो पागल हो जाते हो, भागते हो। अकेलेपन से हमें डर इसलिए लगता है क्योंकि हमें जो कुछ भी मिला हुआ है वो दूसरों से ही मिला हुआ है। और दूसरों से जो मिला है उसके अलावा हमने आपने-आपको कभी जाना नहीं है। तो यह दूसरे जब कुछ देर के लिए जीवन से हटते हैं तो हमें ऐसा लगता है कि जीवन ही बंद हो गया है क्योंकि जो पूरी तरह से अपना है, उसको हमने कभी जाना ही नहीं है। हमने सिर्फ वही जाना है जो हमें किसी और से मिला है। और हमें सब कुछ दूसरों से ही मिला है। नाम दूसरों से मिला है, मान्यताएँ दूसरों से मिली हैं, धर्म दूसरों से मिला है, ज़िन्दगी की परिभाषा दूसरों से मिली है। मुक्ति, सत्य, पैसा, करियर, प्रेम, समाज—इन सबकी परिभाषा दूसरों से मिली है। इसलिए थोड़ी देर के लिए जब यह ‘दूसरे...

तुम्हे sex नही कुछ और चाहिए।

खसम उलटि बेटा भया, माता मिहरी होय। मूरख मन समुझै नहीं, बड़ा अचम्भा होय।। कबीर साहब यही समझा रहे हैं कबीर साहब - "खसम उलट बेटा भैया"। तुम जब किसी गलत पति के साथ जुड़ जाते हो तो वो तुमको दंडस्वरूप बेटा मिल जाता है, और परमात्मा के साथ जुड़ने का, परमात्मा को पति का स्थान देने का लाभ ही यही होता है कि वो तुम्हें बेटा नहीं देगा। जो परमात्मा का पति रूप में वरण करते हैं, उन्हें सौभाग्य ये मिलता है कि फिर उन्हें बेटे नहीं मिलते, और जो परमात्मा के अतिरिक्त किसी और को पति बना लेते हैं, उनको दंड ये मिलता है कि उन्हें बेटे मिल जाते हैं, भविष्य मिल जाता है, कर्मफल मिल जाता है। अब किया है ऐसा कर्म तो भुगतो कर्मफल। बात आ रही है समझ में? "खसम उलट बेटा भया" - तुम जिसको खसम बना रहे हो, वही अब बेटा बनकर सामने आ गया है; कर्म ही कर्मफल के रूप में सामने आ गया है। किसको पति बनाना है? जो तुम्हें फलों से, फलों के प्रभाव से और फलों की इच्छा से शून्य कर दे। जो तुम्हारे भीतर फल की इच्छा और बलवती कर दे, जो तुम्हारे भीतर भविष्य की कामनाएँ भर दे, उसी को कहते हैं कुसंगति। कुसंगति यही कर...

what sex is all about

Understand, what sex is all about.  The deeper your sexual urge is, the deeper is the indication of what you really want. Now don’t remain lost in sex. You better understand what you really want and proceed. If you are all the time, thinking of sex, fascinating, watching porn, masturbating, ogling, gaping, groping, then you must realize, what you want? It is not the female body that you want, or the male body. You want something else. That something else, the body will never provide to you. You better realize your real longing. You better divert your energy towards that. Otherwise, you will keep running after women all your life, and women will keep running in front of you. Women are also quite swift runners. You run fast, they run faster. And they also know how to pass the baton. So, when one woman is tired, she will hand it over to the other woman. Does that not happen? One woman after the other. Women will keep changing. The baton will keep passing and you will be ru...

क्या बच्चे पैदा करना ज़रूरी है?

बात ये नहीं है कि बच्चा ज़रूरी है या नहीं । बात ये है कि – यदि है ज़रूरी तो क्यों है? और अगर ये भी कह रहे हो कि – “नहीं है ज़रूरी,” तो क्यों नहीं है? सवाल पूछा जाना चाहिए या नहीं? कि -“हम हैं, तुम हो और इस रिश्ते में बच्चे की जगह क्या है?” क्या हम करुणा से इतने भरे हुए हैं कि हमें छोटू चाहिए गोद में? ऐसा हमारी ज़िंदगी देखकर तो लगता नहीं है कि हम करुणा से ओतप्रोत हैं। कुत्ते के पिल्ले को तो मारकर भगा देते हैं, और ख़ुद कह रहे हैं कि -“बच्चा नहीं आया तो जीवन में हमारा वात्सल्य भाव कैसे प्रकट होगा?” हम क्यों चाहते हैं बच्चा? और ये पूछना ख़तरनाक है क्योंकि हम नहीं जानते कि हम क्यों चाहते हैं बच्चा। हम सिर्फ़ इसीलिए चाहते हैं क्योंकि सबके पास बच्चा है। जैसे एक बच्चा बोले, “उनके पास भी है गुब्बारा, उनके पास भी है गुब्बारा, मम्मी मुझे भी गुब्बारा दिलाओ न।” और पूछो , गुब्बारा चाहिए क्यों?” तो उनके पास कोई जवाब नहीं होगा । तो शादी के मामले में भी ऐसे ही होता है । तो शादी भी ऐसे ही हो गई। “सबकी हो गई मैं ही रह गया। चल बेटा दौड़ लगा।” हम ज़रा भी जागरुक लोग नहीं हैं। हमें बिलकुल समझ में नहीं आ रहा है कि इस ...